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राजाजी के फील्ड कर्मचारियों को दी गई GIS ट्रेनिंग

देहरादून। उत्तराखंड का लगभग दो तिहाई भूभाग वनों से आच्छादित है लिहाजा हर फायर सीजन में राज्य की जंगलों में आग लगने की खबर सुर्खियां में होती है। 15 फरवरी से शुरू रहे फायर सीजन के मद्देनजर
राजाजी टाइगर रिजर्व ने अपने फील्ड कर्मचारियों को जीआईएस की ट्रेनिंग दी है, ताकि फील्ड कर्मचारी अपने-अपने क्षेत्रों और बीट की जीआईएस एनालिसिस कर सके। जिससे न सिर्फ फील्ड कर्मचारी अपने क्षेत्र को बेहतर ढंग से जान सकेंगे बेहतर को सटीक मॉनिटरिंग भी हो सकेगा।

राजाजी टाइगर रिजर्व के उप निदेशक महातिम यादव ने बताया कि राजाजी टाइगर रिजर्व के फील्ड कर्मचारी जो भी डाटा एकत्रित करते हैं वो जीआईएस के माध्यम से होती है। तमाम फील्ड स्टाफ ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट भी है जिन्हें कंप्यूटर और इंग्लिश भी आती है। ऐसे में वो अपने क्षेत्र का डिटेल्ड जीआईएस एनालिसिस करे तो कार्यसंस्कृति में साइंटिफिक बदलाव आएगा।

ऐसे में राजाजी टाइगर रिजर्व के फील्ड स्टाफ को QGIS (Quantum Geographic Information System) इंस्टॉल करना सिखाया गया है, GPS फॉर्मेट्स की जानकारी समेत तमाम अन्य जानकारियां भी दी गई है। साथ ही, फायर सीजन के दौरान जहां आग लगी होती है वहां जल्द से जल्द पहुंचना होता है। जिसको देखते हुए राजाजी टाइगर रिजर्व में नई तकनीक के जरिए मैप बनाए जाने है। जीआईएस मैप को तैयार करना और उनको पढ़ने की जानकारी दी गई है। इसके अलावा, अलग-अलग सेटेलाइट से डाटा डाउनलोड करना जैसी जानकारी दी गई है।

ये फील्ड स्टाफ फायर वाइल्ड लाइफ मॉनिटरिंग के साथ ही राजाजी टाइगर रिजर्व में चल रहे तमाम प्रोजेक्ट्स को बेहतर तरीके से लागू करना समेत तमाम चीजों में काफी मदद मिलेगी। साथ ही कहा कि उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र के वैज्ञानिक से ये भी चर्चा किया गया है कि तमाम फील्ड स्टाफ ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट भी है जिन्हें कंप्यूटर और इंग्लिश भी आती है।

ऐसे में वो अपने क्षेत्र का डिटेल्ड जीआईएस एनालिसिस करे, कि पिछले कुछ दशकों में किस तरह से ट्री कवर में बदलाव आया है, उनके क्षेत्र में किस किस प्रजाति के वृक्षों का जंगल है। जिससे फील्ड स्टाफ की प्रैक्टिस होने के साथ ही राजाजी टाइगर रिजर्व का रिसर्च वर्क भी हो जाएगा। और फील्ड स्टाफ भी काम में व्यस्त रहेगा।

राजाजी टाइगर रिजर्व की जीईएस मैपिंग के लिए बाहर से स्टाफ बुलाना पड़ता था, लेकिन राजाजी टाइगर रिजर्व का जो फील्ड का स्टाफ है वो अपने फील्ड को बहुत अच्छे से जनता है। लिहाजा, फील्ड स्टाफ अपने क्षेत्र की जानकारी को अच्छे से प्रेजेंट कर सके, कि किस क्षेत्र में किस प्रजाति के वृक्षों का जंगल है और पिछले 20 सालों में किस तरह से जंगल बदला है। जिसको करने के लिए जीआईएस एनालिसिस एक अच्छा टूल है। जिस दिशा में प्रयास किया जा रहा है इसके लिए उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (U-SAC) भी सहयोग दे रहा है।

लिहाजा जो इच्छुक फॉरेस्टर्स और फॉरेस्ट गार्ड है उनको ट्रेनिंग दी जा रही है। साथ ही जब ये फॉरेस्टर्स और फॉरेस्ट गार्ड अपने बिट (क्षेत्र) में काम करेंगे उन्हें अपने क्षेत्र की जानकारी उतनी अच्छी होगी। साथ ही बताएं कि उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र में चार दिवसीय ट्रेनिंग का आयोजन किया गया। जिसमें राजाजी टाइगर रिजर्व से 24 कार्मिक ट्रेनिंग में शामिल हुए थे। एक दो हफ्ते बाद 20 से 22 और कर्मचारियों को उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र भेजा जाएगा, ताकि उन्हें जीआईएस एनालिसिस की जानकारी दी जा सके।

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