देहरादून। राजनीति में जो दिखता है दरअसल वो होता नहीं है। केदारनाथ उपचुनाव भी एक दिलचस्प कहानी की किताब से कम नहीं है। अब जब केदारनाथ उपचुनाव को जीतकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के हौसले बुलंद हैं। तो यह नहीं भूलना चाहिए कि यह चुनाव महज एक उपचुनाव भर नहीं था बल्कि सीएम धामी के लिए लिटमस टेस्ट के साथ ही पार्टी के भीतर और बाहर शक्ति प्रदर्शन भी था।
केदारनाथ उपचुनाव के एलान के साथ ही में कई नैरेटिव गढ़ी गई। बीजेपी की इस सीट से जीत की की चर्चा कम और काल्पनिक हार और उसके बाद की संभावना पर खूब चटखारे लिए गए। केदारनाथ उपचुनाव में को लेकर खूब जोर-शोर से इस बात को प्रचारित किया गया कि अगर यह चुनाव बीजेपी नहीं जीत पाईं तो सीएम पुष्कर सिंह धामी की कुर्सी खतरे में पड़ जाएगी। सीएम धामी के खिलाफ यह नैरेटिव कहीं और से नहीं बल्कि सत्ताधारी पार्टी या यूं कहें कि सत्ता के अंदर बैठे कुछ महत्वाकांक्षी नेताओं के द्वारा बनाया गढ़ी जा रही थी।
खबर तो यह भी थी कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के खिलाफ पार्टी के कुछ बड़े नेताओं ने हाथ मिलाकर अंदर खाने धामी हटाओ अभियान भी शुरू कर दिया था। उन्हें लग रहा था कि केदारनाथ चुनाव हारते ही पुष्कर सिंह धामी को सीएम पद से हटाना केंद्रीय नेतृत्व की मजबूरी बन जाएगी। जिसे न सिर्फ देहरादून बल्कि केदारनाथ में भी खूब प्रचारित-प्रसारित किया गया।
यह उपचुनाव कतई आसान नहीं था। क्योंकि केदारनाथ चुनाव की लड़ाई आखिरी पड़ाव में कांग्रेस बनाम पुष्कर सिंह धामी हो गया था। कांग्रेस को भी लग रहा था की उनकी लड़ाई इस उपचुनाव में बीजेपी से नहीं बल्कि एक व्यक्ति पुष्कर सिंह धामी से है। कांग्रेसी नेता इस बात को जनता के बीच भी पहुंचाने की भरपूर कोशिश करते रहे। राजनीति की समझ में रखने वाले लोग यह भली-भांति समझ रहे थे कि उत्तराखंड बीजेपी का एक धारा केदारनाथ उपचुनाव हारने का इंतजार कर रहा है। ताकि धामी के खिलाफ माहौल तैयार कर उन्हें सीएम की कुर्सी से उतारा जा सके।
लेकिन जब उपचुनाव का रिजल्ट आया तो शांत स्वभाव के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने न सिर्फ विपक्ष को बल्कि अपनी पार्टी के अंदर हार के इंतजार में बैठे विरोधियों को भी करारा जवाब दे दिया। केदारनाथ चुनाव जीत के बाद सीएम धामी के चेहरे पर एक सुकून था और मुस्कुराहट भी थी। ये सुकून और मुस्कुराहट ये बताने को काफी था कि उन्होंने इस चुनाव में न सिर्फ विपक्ष को हराया है बल्कि अपने विरोधियों को भी पटखनी दी है।
लिहाजा यह कहना उचित होगा कि सीएम धामी ने इस चुनाव के माध्यम से उत्तराखंड की राजनीति में न सिर्फ अपना राजनीतिक कद बड़ा किया है बल्कि बीजेपी के अन्दर भी एक बड़ी लकीर खींच दी है जिसे पाटना निकट भविष्य में किसी के लिए आसान नहीं होगा।